Eat some Samose!!
बहुत बढ़ाते प्यार समोसे, खा लो, खा लो‚ यार समोसे !!

समोसे – घनश्याम चन्द्र गुप्त

Here is a lovely ode to one of the most popular snack of North India. Ghanshyam Gupta Ji succeeds in making our mouth water! Rajiv Krishna Saxena

समोसे

बहुत बढ़ाते प्यार समोसे
खा लो‚ खा लो यार समोसे

ये स्वादिष्ट बने हैं क्योंकि
माँ ने इनका आटा गूंधा
जिसमें कुछ अजवायन भी है
असली घी का मोयन भी है
चम्मच भर मेथी है चोखी
जिसकी है तासीर अनोखी
मूंगफली‚ काजू‚ मेवा है
मन–भर प्यार और सेवा है

आलू इसमें निरे नहीं हैं
मटर पड़ी है‚ भूनी पिट्ठी
कुछ पनीर में छौंक लगा कर
हाथों से सब करीं इकट्ठी
नमक ज़रा सा‚ गरम मसाला
नहीं मिर्च का टुकड़ा डाला

मैं भी खालूं‚ तुम भी खा लो
पानी पी कर चना चबा लो
तुमसे क्या पूछूं कैसे हैं
जैसे हैं ये बस वैसे हैं
यानी सब कुछ राम भरोसे
अच्छे या बेकार समोसे

बहुत बढ़ाते प्यार समोसे
खा लो, खा लो‚ यार समोसे

∼ घनश्याम चन्द्र गुप्त

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